प्रश्न अचानक
मन में आया
राधा ने जानना चाहा
है यह बांस की बनी
साधारण सी बांसुरी
पर अधिक ही प्यारी क्यूं है
कान्हां तुम्हें ?
इसके सामने मैं कुछ नहीं
मुझे लगने लगी
अब तो यह सौतन सी
जब भी देखती हूँ उसे
विद्रोह मन में उपजता
फिर भी बजाने को
उद्धत होती
जानते हो क्यूं ?
शायद इसने
अधर तुम्हारे चूमे
उनका अमृत पान किया
तभी लगती बड़ी प्यारी
जब मैंने इसे चुराया
बड़े जतन से इसे बजाया
स्वर लहरी इसकी
तुम्हें बेचैन कर गई
की मनुहार कान्हा तुमने
इसे पाने के लिए
मैं जान गई हूँ
इसके बिना तुम हो अधूरे
यह भी अधूरी तुम्हारे बिना
चूंकि यह है तुम्हें प्यारी
मुझे भी अच्छी लगने लगी |
आशा
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