चारो ओर छाया अन्धेरा
उजाले की इक किरण ढूँढते हैं
गद्दारों से घिरे हुए हैं
ईमान की एक झलक ढूँढते हैं
ईमान पर जो खरी उतारे
ऐसी एक शक्सियत चाहते हैं
जिस दिन रूबरू होंगे उससे
उन पलों की तारीख ढूँढते हैं
शायद कभी वह मिल जाए
उस पल का सुकून खोजते हैं
आशा पर टिके हैं
निराशा से कोसों दूर
मन का संबल खोजते हैं |
आशा
आशा पर टिके हैं
निराशा से कोसों दूर
मन का संबल खोजते हैं |
आशा
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