गाड़ी न छूटे
वक्त पर पहुँचो
पकड़ो गाड़ी
दबंग बनो
किसीसे मत डरो
रहो दबंग
राज़ की बात
किया जो परिहास
दुःख का राज़
दिया जलाया
घर भी जला दिया
क्यों दर्द दिया
जागृत नैन
सचेत तन मेरा
मन जागृत
खिलाये फूल
थोड़ी सी भी रिश्वत
बिना खिलाये
आया सैलाब
छिपा है आफताब
तूफ़ान आया
हवा जो चली
पाश्चात्य फैशन की
बिगड़ी हवा
हुई आहट
द्वार पर किसकी
आमद हुई !
सावन आया
चमके बिजुरिया
भाया सावन !
आशा सक्सेना
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