माता की कृपा 
रहती सदा साथ 
मेरी रक्षक 
स्पर्श माता का 
बचपन लौटाता 
यादें सजाता 
माँ का आशीष 
शुभ फलदायक 
हो शिरोधार्य 
माँ की ममता 
व पिता का दुलार 
दिखाई न दे 
माँ की ऊँगली 
डगमगाते पाँव 
दृढ़ सहारा 
माता के साथ 
बालक चल दिया 
विद्या मंदिर 
जीवन भर 
कभी न करी सेवा 
अब श्राद्ध क्यों 
मन की पीड़ा 
बस पीड़ित जाने 
और न कोई 
सच में होता 
ऐसा ही परिवार 
सोचती हूँ मैं 
आशा सक्सेना 

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