बिना मौसम बरसात के
जब बादल छा जाते हैं
जब भी फुहार आती है
मैं भीग भीग जाती हूँ
मन से भी तन से भी
कितना भी ख्याल रखूं
बच नहीं पाती
जाने कहाँ से विचार आते हैं
मन से टकरा कर चले जाते हैं
न जाने क्यों बैर है मुझसे
न आने की खबर देते हैं
न जाने की सूचना
बस मन की वीणा के
तार छेड़ जाते हैं |
आशा
आशा
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