सागर की सीपी में मोती
हैं अनमोल अद्भुद दिखाई देते
है भण्डार अपार उनका
उनसे शब्द मोती से झरते
किये संचित शब्दों के मोती
चुन चुन मोती माला पिरोई
उस पर सुगंध भावों की डाली
वही माला अपने प्रियवर को
बड़े जतन से भेट चढ़ाई
जब उनहोंने उसे धारण किया
भाव भरे शब्दों को पहचाना
सच्चे मोतियों को परखा
उनकी आव का अनुभव किया
उन्हें यथोचित स्थान दे कर
मनोबल मेरा बढ़ाया
शब्दों में संचित भावनाएं
दौनों के बीच सेतु बन गईं
अपने अनुभव बांटने के लिए
शब्दों की धरोहर मिल गई |
आशा
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