22 दिसंबर, 2018

ख़त




ख़त तुम्हारे लिए न होंगे
ख़त तुम्हारे करीब न होंगे 
जब तक हम तुम्हारे न होंगे  
 दौनों जब  हमकदम न होंगे
दूरियां बढ़ती जाएंगी
नजर तक पड़ेगी न उन पर
लिफाफे में जैसे आये थे
वैसे ही रहेंगे खुल न पाएंगे
कभी वे  ख़त पुराने न होंगे 
मन कभी न होगा
 उन् को  हाथ लगाने का 
उनमें अपनेपन की गंध  न होगी 
जब तक हम  दौनों  हम दम न होंगे 
मन में मन की बातें रह जाएंगी 
भाव उजागर न हो पाएंगे|

आशा
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