नया बस्ता नई यूनीफार्म
उत्साह अधिक शाला जाने का
अपनी सहेलियों से मिलाने का
पर वह अकेली है उदास
उसकी नई ड्रेस नहीं आई अभी तक
बहुत बेमन से पुरानी ड्रेस पहन कर
अलग अलग जाती दीखती
मन की बात किससे कहे
अभी तक पैसों का जुगाड़ नहीं हुआ है
नया सामान लाने को
मां ने कहा है
अभी इसी से काम चलाओ
अगले मांह कुछ तो जुगाड़ होगा
है वह बहुत असमंजस में
कैसे सामना करेगी
अपनी अध्यापिका का
आए दिन सजा मिलेगी
बिना यूनीफार्म के आने की
वह कैसे कहेगी
अभी पैसे नहीं हैं
पर मन में ललक
शाला जाने की कम नहीं
रोज अपनी अवमानना कैसे सहेगी
शायद यही है प्रारब्ध उसका
उसे स्वीकार करना होगा
पर मनोबल कम न होगा आशा
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजयटिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा सक्सेना
सूचना हेतु आभार सर |
जवाब देंहटाएंआशा सक्सेना
अक्सर बच्चों को ऐसी परिस्थितियों से दो चार होना पड़ता है जो उनमें हीन भावना को जन्म देता है ! मर्मस्पर्शी रचना !
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