किताब में छिपी है
गहरे अहसासों की छुअन
हर पन्ना सजा है
अनुभवों के मोतियों से
कभी सत्यपरक
कभी सत्य के करीब कथानक
या पूरी काल्पनिक
ऊंची उड़ाने भरती हुई कहानियां
यदि एक भी पन्ना छूट जाए
बहुत बेचैनी होती है
उसमें हर शब्द है वेशकीमती
सागर की सीपी से
खोज कर लाया गया है
वही एहसास वही अनुभव
गूथे गए है शब्दों की माला में
पुस्तक के रूप में
यही तो उसे बना देती है
अनमोल कृति जिसे
सहेज कर रखते हैं
धरोहर की तरह
धरोहर की तरह
एक पीढ़ी से आने वाली पीढ़ी तक
किताबें है ऐसे दस्तावेज
जिन में लिखी इवारतें है
इतिहास अतीत का
जब भी पन्ने पलटो
अतीत की घटनाओं में
ऐसे खो जाते हैं
ऐसे खो जाते हैं
मन ही नहीं होता
हाथों से पुस्तक छोड़ने का
कभी अपने से तुलना करते हैं
और बीती यादों में खो जाते हैं |
कभी अपने से तुलना करते हैं
और बीती यादों में खो जाते हैं |
आशा
हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं किताबें ! हर समस्या का निदान बताती हैं किताबें हर शंका का निवारण करती हैं किताबें ! ज़रुरत पड़ने पर थपकियाँ देकर मीठी नींद सुलाती हैं किताबें !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 4.7.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3386 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार सर |
बहुत सही। हमारी विचार संस्कृति का वाहक हैं- किताबें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विश्वमोहन जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना दी जी
जवाब देंहटाएंप्रणाम
सादर
धन्यवाद अनिता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएं|
बहुत सही परिभाषा दी है किताब की
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनिता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंवाह!!!बहुत खूबसूरत रचना आशा जी ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद शुभा जी |
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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