सोलह सिंगारों में प्रमुख 
मेंहदी के रूप अनूप 
हाथों की शोभा होती दुगुनी 
जब पूर्ण कुशलता से रचाई जाती 
कलात्मक हरी हरी मेंहदी 
सावन में मेंहदी से करतीं 
महिलायें अपना श्रृंगार 
हरियाली तीज मनातीं धूमधाम से 
रक्षाबंधन पर बहनों के हाथ 
भरे रहते लाल लाल मेंहदी से 
हल्दी लगाने के बाद 
मेंहदी से सजाये जाते 
हाथ दुल्हन के 
मेंहदी का रंग जितना गहरा होता 
गहन प्यार की गवाही देता 
रचाई गयी कलात्मक मेंहदी से 
लिखा जाता हथेली पर 
प्रियतम का नाम 
बहुत समय लगता उसे खोजने में 
बहुत प्रसन्नता होती दूल्हे को 
देख कर प्रियतमा की हथेली पर 
अपना छिपा हुआ नाम 
दोनों के हाथों में रहता विश्वास 
रहे हाथों में हाथ इसी तरह 
कभी न छूटे साथ ! 
आशा सक्सेना 

जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-08-2019) को "हरेला का त्यौहार" (चर्चा अंक- 3416) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूचना के लिए आभार अनीता जी |
नारी के जीवन में मेंहदी का महत्त्व स्थापित करती बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
५ अगस्त २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सूचना हेतु आभार |
जवाब देंहटाएंएक रस्म जो हमने भी निभाई
जवाब देंहटाएंयाद आई.
सुंदर रचना.
पधारें कायाकल्प
धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
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