एक समय था ऐसा जब केवल खेल सूझता था 
 किताब छूने का मन न होता था 
है कठिन बहुत लिखना पढ़ना 
लिखने  से कोसों दूर भागती थी |
 जब से  दुनिया देखी बाहर की 
महत्व समझ में आया लिखने पढ़ने का 
लगा  अभी भी देर नहीं हुई है 
शिक्षा प्राप्ति  की कोई उम्र
नहीं  निर्धारित |
जितनी नजदीकियां होंगी उससे सफलता हांसिल होगी 
केवल फल की इच्छा रख कर कोई  
शिक्षा के पायदान के उच्च शिखर पर 
बिना प्रयास  यूँ ही  पहुँच नहीं  पाता |
है आवश्यक दृढ इच्छा शक्ति और लगन 
कुछ पाने के लिए मौज मस्ती त्याग कर 
एक ध्येय ले कर चलने से चूमती कदम सफलता 
कागज़ कलम किताब होते अति आवश्यक |
बीता समय लौट नहीं पाया 
 वर्तमान का पूर्ण उपयोग किया 
 आने वाले कल की राह न देखी 
पर देर से ही  जब सही मार्ग
अपनाया |
एकाग्र  चित्त हो  लिखा पढ़ा याद किया 
मस्तिष्क में संग्रहित किया 
जो भी नया लिखा बारम्बार दोहराया 
तभी शिक्षा का पूरा लाभ उठा पाया  |
                                               आशा 

प्रशंसनीय
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए राकेश जी |
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.02.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3610 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सूचना हेतु आभार सर |
हटाएंवाह ! बढ़िया रचना ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |
उम्दा प्रस्तुति है आपकी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गुरमिंदर सिंह जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 17 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकलम के महत्त्व को प्रतिष्ठित करती सुंदर रचना दीदी।
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