रंग बनाया है पलाश के फूलों से   
रंगों की बरसात लिए
आपसी समभाव लिये
आपसी समभाव लिये
आई होली रंगों की सौगात लिए  
सूखे रंग गालों पर सजे 
अपनों का प्यार लिए
अपनों का प्यार लिए
फूलों की होली  मथुरा में 
कान्हां के मंदिर परिसर में
कान्हां के मंदिर परिसर में
भक्त  फाग गाते निहारते 
कृष्ण कन्हिया की मूरत को
कृष्ण कन्हिया की मूरत को
मन में बसी छबि ऐसी 
जब नयन बंद करते तब भी
जब नयन बंद करते तब भी
अनवरत दिल  में बसी रहती 
लठ्ठ मार होली बरसाने की 
भी कम नहीं होती किसी से
भी कम नहीं होती किसी से
बड़ी प्रतीक्षा रहती
इस अवसर की
इस अवसर की
महिलाएं लंबा घूघट से चहरा ढाके
करतीं प्रहार लठ्ठों से 
रंगतीं गहरे रंगों से
रंगतीं गहरे रंगों से
 कोई बुरा नहीं मानता 
अवीर गुलाल लगाने से
अवीर गुलाल लगाने से
गिले शिकवे भूल  लोग
आपस में गले मिलते
आपस में गले मिलते
देते बधाइयां
मिठाइयां बड़े प्रेम से
मिठाइयां बड़े प्रेम से
बैर भाव भूल 
प्रसन्नता से रंग खेलते
प्रसन्नता से रंग खेलते
 होली समारोह में 
धर घर जाते प्यार बांटते
धर घर जाते प्यार बांटते
रहता इंतज़ार इस त्यौहार का
बहुत उत्साह से
बहुत उत्साह से
 रंग भरे टबों में
डुबकी खिलाने का
डुबकी खिलाने का
चंग की थाप पर
रसिया गाने का
रसिया गाने का
होली के  गीतों का
आनंद है अलग सा
आनंद है अलग सा
 भंग की तरंग में झूमते झामते
होली के गीत गाते
होली के गीत गाते
मस्ती से भरे लोग
जहाँ जाते रंग जमाते
जहाँ जाते रंग जमाते
बड़ों का आशीष ले
बचपन की यादें ताजा करते |
बचपन की यादें ताजा करते |
आशा 

होली पर सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10 -3-2020 ) को " होली बहुत उदास " (चर्चाअंक -3636 ) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
धन्यवाद कामिनी जी सूचना के लिए |
हटाएंहोली की मस्ती का बहुत सुन्दर चित्रण ! बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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