कुछ लम्हें तो  चाहिए
 तुम्हारे  दीदार के लिए
तुम्हें जानने  के लिए 
वह भी ऐसे कि उनमें 
किसी का दखल न हो |
मुझे पसंद नहीं है
 किसी की दखलंदाजी
तुम्हारे मेरे  बीच आकर   
गलतफैमी बढाने की 
 बातों को तूल देने की | 
होगी जब आवश्यकता   
  कानों के कच्चे नहीं 
 हम खुद ही सक्षम हैं
आपस में उलझा हुआ पेच सुलझाने में |  
मुझे चाहिए समय
खुद सोचने दो
खुद सोचने दो
दूसरों की बैसाखी ले कर 
कब तक चलूंगी |
दूसरों की सलाह
कब तक चलूंगी |
दूसरों की सलाह
 होगी कितनी कारगर ?
है विश्वास मुझे खुद पर 
 कभी गलत नहीं सोचूंगी |
किसी की गलत सलाह 
पर कान न धरूंगी
सही निर्णय को
पर कान न धरूंगी
सही निर्णय को
 सिर माथे रखूंगी | 
आशा है सभी समस्याएं
अपने आप समाप्त होंगी 
मेरे तुम्हारे तालमेल पर  
लोग मन में ईर्ष्या करेंगे |
आशा   

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 05 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार यशोदा जी |
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |
जवाब देंहटाएंक्या बात है ! यही विश्वास और सकारात्मकता का भाव होना चाहिए ! समस्याएँ स्वयं भाग खड़ी होती हैं ! सुन्दर रचना !
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