27 नवंबर, 2020

मैं मानव हूँ


 


                                      मैं मानव हूँ दानव नहीं

सम्वेदनाओं से भरा हुआ हूँ

मुझे भी कष्ट होता है

किसी को व्यथित देख |

व्यथा का कारण जान  

अनजान नहीं रह सकता

हल उसका खोज कर

कुछ तो सुकून दे ही  सकता हूँ |

मेरी भूलों पर होता है

  पश्च्याताप मुझे भी

दोष निवारण के लिए प्यार बांटता हूँ

सब से अलग  नहीं हूँ  |

मैं मनुज हूँ पाषाण नहीं 

हर समस्या को समझता हूँ

 निदान की कोशिश भी करता हूँ 

हार मान नहीं सकता |

आशा

 

10 टिप्‍पणियां:

  1. प्राण है तो अनुभूति होगी ही, संवेदनाएं होंगी ही।
    सुंदर।

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    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 27 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. हल उसका खोज कर
    कुछ तो सुकून दे ही सकता हूँ |
    मेरी भूलों पर होता है
    पश्च्याताप मुझे भी
    दोष निवारण के लिए प्यार बांटता हूँ
    सब से अलग नहीं हूँ ...

    जीवन-दर्शन से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना !!!
    हार्दिक बधाई!!!

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      टिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद शरद सिंह जी |

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  4. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  5. सुप्रभात
    टिप्पणी हेतु आभार सहित धन्यवाद शांतनु जी |

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  6. टिप्पणी हेतु धन्यवाद शांतनु जी |

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  7. अच्छे और सच्चे मानव की यही होती है पहचान ! सुन्दर रचना !

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