माँ के आँचल की छाँव तले
ममता भरी गोद में
जब पनाह मिलती है
बड़ा सुकून मिलता है |
धीरे धीरे जब सर सहलाती है
एक अनोखी ऊर्जा का संचार होता है
यही ऊर्जा जीने की ललक
जगाती है
क्षण भर में ही सारी थकान
दूर हो जाती है |
अद्भुद स्नेह से हो तृप्त
जब गोदी से सर हटाता हूँ
बड़ा सुकून मिलता है मुझे
मन में होता स्नेह का संचार सुखद |
काश स्नेह मई माँ का प्यार ऐसा
सब के नसीब में होता
माँ की गोद की उष्मा
बड़े भाग्य से मिलती |
जो सुरक्षा वहां मिलती
उसकी कल्पना बड़ी सुखदाई
होती
माँ की कभी कमी सदा खलती
होती अनमोल माँ की गोद
उसकी कोई सानी नहीं होती|
आशा
सुन्दर और मार्मिक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमकर संक्रान्ति का हार्दिक शुभकामनाएँ।
Thanks for the comment
हटाएंमाँ का प्रेम सदा अनमोल ही होता है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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