सागर पार से आया हूँ
तुम्हारा प्यार पाने
की चाहत में
यही एक अरमान रह गया शेष
तुम्हें अपनाने का वादा किया था
वह भूला नहीं हूँ उसे
ही निभाने आया हूँ |
समय न मिल पाया था अब तक
सीमा की चौकसी थी प्राथमिकता पर
कैसे तुम्हें यह समझाऊँ ?
मुझे अवकाश न मिल
पाया था
देश की सीमा पर तैनाती थी
उसकी निगह्बानी पहले
जरूरी थी|
अब जा कर अवकाश मिला है
अब मुझे अन्य चिंता
नहीं है
उसे ही पूरा करने आया हूँ |
आशा
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सु-मन जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुन्दर और सारगर्भित रचना।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |
बहुत बढ़िया !
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