शिवजी की बरात निकली
 बहुत धूमधाम से 
शिव पार्वती मिलन
हुआ
विधि विधान से |
पार्वती ने पाया था 
 मनोनुकूल वर 
कठिन तपस्या से 
तभी नाम हुआ अपर्णा उनका
  |
रूप अनूप जोड़ी का 
 देखते नहीं थकते दृग 
दर्शन हुए बड़े भाग्य
से | 
हर वर्ष मनाया जाता 
विवाह उत्सव उनका 
 शिवरात्रि के रूप में |
बेल पत्र व् पुष्प चढ़ाते
 
हल्दी कुमकुम दूध चढाते
 
 भोग लगाया जाता 
विधि विधान से |
उपवास दिन भर रखते 
फल फूल से पेट भरते 
भोले नाथ की माला
जपते
बहुत यत्न से  | 
मन चाहा पाने की 
  लालसा सदा
रही  मन में
 वरद हस्त प्रभू का 
  सर पर हो
 सदा  
यही रहा  मन  में
|
आशा 

बेहतर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुन्दर रचना।
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महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुप्रभात
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंवाह ! पावन पर्व का सुन्दर चितरन ! महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए धन्यवाद मीना जी |
धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
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जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर व दिव्य भावों से ओतप्रोत मुग्ध करती शिव वंदना कविता - - साधुवाद सह।
बहुत ही सुंदर शिव वंदना आदरणीय दी,सादर नमन आपको
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