स्वर्ग और नर्क
दौनों
ही
दिखाई दे जाते
इसी कायनात में|
जब अपने किये
कार्यों का आकलन
अंतर आत्मा की आवाज सुन
किया जाता |
खुद अपना आकलन
निष्प्रह हो कर
किसी ने किया यदि
शीशे में दीखती खुद की छवि
जैसा दिखाई देता
आकलन |
पर है आवश्यक
तटस्थ भाव से
हो निर्णय निष्पक्ष
किये
गए आकलन पर |
खोजा जा सकता है
इसी दुनिया में
स्वर्ग और नर्क
अपने आसपास यहीं |
हर किये गए
कर्म का फल
यहीं मिलता है
है यहीं स्वर्ग
और नर्क यहीं |
आशा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17-06-2021को चर्चा – 4,098 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार दिलबाग जी |
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमन चंगा तो कठौती में गंगा ! सच है ! जब आपका मन निष्पाप होगा तो आपका जीवन भी सुन्दर होगा और परिणाम भी सुखद होंगे !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
जवाब देंहटाएंसच स्वर्ग और नर्क यहीं हैं, अपना अच्छा-बुरा सब यही भुगत के जाता हैं प्राणी
जवाब देंहटाएंसही कहा स्वर्ग नर्क सब यहीं है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन।