समय पर काम आए
बिना किसी प्रलोभन के
हर समय खडा हो साथ
हिम्मत दिलाए |
कृष्ण सुदामा की मित्रता
मशहूर है आज तक
उदाहरण के रूप में
इस मित्रता के लिए |
कोई भूलता नहीं
इस तरह की मित्रता को
एक् पीढी से दूसरी को
यह किस्से सुनाए जाते |
आज कल सच्ची मित्रता
खोजे नहीं मिलती
होते मतलव परस्त वे
रखते सतही मित्रता |
हैं वही भाग्यशाली
जिसने साथ पाया
ऐसे मित्र का जो
सही सलाह देता हो
सच में मित्रता निभाए |
आशा
धन्यवाद आपका बहुत टिप्पणी के लिए आलोक जी
जवाब देंहटाएंसच्ची मित्रता वास्तव में अत्यंत दुर्लभ है ! भाग्यवान को ही सच्चे मित्र का प्रेम मिलता है ! बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
धन्यवाद आपका बहुत टिप्पण के लिए ओंकारजी
जवाब देंहटाएंद
हटाएंद
धन्यवाद आपका बहुत टिप्पणीव के लिए
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 03-06-2021को चर्चा – 4,085 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
सूचना के लिए आभार आपका
हटाएंसच्चे मित्र दुर्लभ हो गए हैं ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका बहुत टिप्पणीव के लिए
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