समय ने बनाया दास
हर सुविधा के साधन
का
आदि हो गए है उन सब के
जीना हुआ मुहाल उनके
बिना |
एक दिन यदि बिजली चली जाए
हर काम अटक जाता है
पंखा बंद होते ही
नींद बैरन हो जाती
है |
सब बिजली के उपकरण
जमाए बैठे अधिकार
घर के हर कार्य पर
बिना बिजली कुछ भी संभव
नहीं है |
यही आश्रित होने की
आदत
बहुत दुःख देती है
सामान्य जीवन जी नहीं पाते
आधुनिक संसाधनों के
बिना |
आशा
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
आभार दिव्या जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
जवाब देंहटाएंमनुष्य सुख सुविधा का जैसे जैसे आदी होता जा रहा है इन उपकरणों का गुलाम होता जा रहा है ! अपना प्राकृतिक, स्वाभाविक जीवन जीना भूलता जा रहा है इसीलिये शरीर दुर्बल और आरामतलब हो गया है ! यथार्थ चित्रण !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंयह निर्भरता की पराकाष्ठा ही कही जायेगी। सामयिक विषय।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
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