05 जून, 2021

आधुनिक सुविधा के संसाधन


 

समय ने बनाया दास

हर सुविधा के साधन का

 आदि हो गए है उन  सब के

जीना हुआ मुहाल उनके बिना |

एक दिन यदि  बिजली  चली जाए

हर काम अटक जाता है

पंखा बंद होते ही

नींद बैरन हो जाती है |

सब  बिजली  के उपकरण

 जमाए बैठे अधिकार

घर के हर कार्य पर  

बिना बिजली कुछ भी संभव नहीं है  |

यही आश्रित होने की आदत

बहुत दुःख देती  है

सामान्य जीवन  जी नहीं पाते

आधुनिक संसाधनों के बिना |

आशा

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  2. आभार दिव्या जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |

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  3. मनुष्य सुख सुविधा का जैसे जैसे आदी होता जा रहा है इन उपकरणों का गुलाम होता जा रहा है ! अपना प्राकृतिक, स्वाभाविक जीवन जीना भूलता जा रहा है इसीलिये शरीर दुर्बल और आरामतलब हो गया है ! यथार्थ चित्रण !

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  4. यह निर्भरता की पराकाष्ठा ही कही जायेगी। सामयिक विषय।

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