सावन गीत में मधुर संगीत
ऊपर से ढोलक की थाप
खूबसूरत समा का एहसास कराती
कजरी मन को भाती |
हरियाली चहु ओर धरा पर
सावन आगमन की उपस्थिती
धरती की सौंधी महक से
वर्षा के मौसम में वायु के झोंकों से |
यही सुगंध हमें खींच कर ले जाती
हरेभरे बागों के बीच
रंग बिरंगे पुष्प सजे डालियों पर
कोई क्यारी भी रिक्त नहीं
है कमाल माली की मेहनत का |
उसका रिश्ता हैवृक्षों से
पिता और पुत्र जैसा
जब कोई वृक्षों से छेड़छाड़ करता
उससे सहा न जाता
कटु शब्दों से उसे बरजता |
पक्षी मोर पपीहा गाते अपनी धुन में
चुहल करते एक डाल से दूसरी पर जाते
रंगबिरंगी तितलियाँ उड़तीं
भ्रमर करते गुंजन कभी पुष्प में छिप जाते |
बालाओं ने डाले झूले नीम की डाली पर
ऊंची पैंग बढ़ातीं कजरी गातीं
धानी धानी वस्त्र पहन कर
व्योम को छूना चाहतीं |
आशा
व्योम को छूना चाहतीं |
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंबहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(4-7-21) को "बच्चों की ऊंगली थामें, कल्पनालोक ले चलें" (चर्चा अंक- 4115) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
Thanks for the information of the p o st
जवाब देंहटाएंसहज, सरल शब्दों में अच्छी रचना!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंवाह वाह ! सावन का बहुत ही सुन्दर मनभावन शब्द चित्र ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |