08 अगस्त, 2021

क्षणिका


 

रही न अपेक्षा कभी तुमसे

छूटे न हाथ तुम्हारा कभी उससे

समय नहीं दे पाया जिसको

वही बेवख्त काम आया |


सागर में जल अथाह

कैसे नापा जाए

कोई पैमाना न मिला ऐसा

जिससे गहराई को नापा जाए |


सतही रिश्ते कब तक कोई झेले

जब दूसरा न निभाना चाहे

मन में खलिश होती है

उसे कैसे मिटाया जाए |


प्यार का बुखार नापूं कैसे 

ऐसा ताप मापी न मिला 

किसी ने उसे बाटा  हो 

ऐसा आसामी न मिला |

आशा

 

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