रही न अपेक्षा कभी तुमसे
छूटे न हाथ तुम्हारा कभी उससे
समय नहीं दे पाया जिसको
वही बेवख्त काम आया |
सागर में जल अथाह
कैसे नापा जाए
कोई पैमाना न मिला ऐसा
जिससे गहराई को नापा जाए |
सतही रिश्ते कब तक कोई झेले
जब दूसरा न निभाना चाहे
मन में खलिश होती है
उसे कैसे मिटाया जाए |
प्यार का बुखार नापूं कैसे
ऐसा ताप मापी न मिला
किसी ने उसे बाटा हो
ऐसा आसामी न मिला |
आशा
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंअरे वाह ! बहुत ही सुन्दर सृजन ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |