27 सितंबर, 2021

वर्ण पिरामिड

 है

मेरी

बिटिया

व्याही गई  

सब से  दूर

पराए देश में

बहुत याद आती

जब आ नहीं पाती

 विछोह सह न  पाती 

मन अधीर कर जाती |  


हो  

तुम  

वेदना 

   हो मेरी ही      

कभी गोण हो  

बेचैन कभी हो  

क्यों मुझे सताती हो  

यह  मुझ से  लगाव हो    

तुम से लगाव हो कैसे  |  

         है 

        वही 

        सुबह  

      और शाम

      व्यस्तता लिए 

       नहीं  है  आराम 

       सिर्फ रात्री  विश्राम  

        है तब भी चैन कहाँ   

     सो नहीं  पाती  स्वप्न बिना  | 

आशा 






 

मन  

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