14 दिसंबर, 2021

हाइकु (मौसम सर्दी का )


                                        खोली खिड़की

झांक कर  देखा था

आदित्य को ही

 

दूर से आई

आवाज किधर से

चहके पक्षी

 

पेड़ की डाली

हिलती है जोर से

वायु  सी  डोले

  

ठंडा मौसम

आगाज पक्षियों का

सरस लगा

 

 धूप आ गई

रश्मियाँ पसरी  हैं

पत्तियों पर

 

मन ने चाहा

धूप सेकूँ प्रातःकी

 आँगन में हूँ  


हों गर्म वस्त्र  

 ढांके तन को यदि   

सर्दी बचाएं 


ऋतु जाड़े की 

गरमागर्म चाय 

 मजा और है 


कभी सोचना 

दुनिया चाँद पर  

वर्तमान में 


धुंद  ही धुंद 

फैली चारों ओर है 

हाथ न सूझे  


आशा 






 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (15-12-2021) को चर्चा मंच        "रजनी उजलो रंग भरे"    (चर्चा अंक-4279)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      आभार शास्त्री जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

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  2. बहुत सुन्दर मौसमी हाइकू ! सर्दी की सिहरन का आभास सा देते !

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  3. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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