किया जब इकरार किसी से 
उसे पूरा करना है तन मन से 
यही सीखा है अपने अनुभवों से
  किसी  पर
बोझ न बनना   |
 कर्तव्य पूर्ण करो निष्ठा से
यही समर्पण तुम्हें सफलता देगा  
जो भी मिलेगा तुमसे 
 हल्कापन महसूस करेगा खुद में | 
अपार शान्ति होगी उसके मन मंदिर में 
यही कार्य होते हैं परोपकार के 
यही शिक्षा मिली है समाज से
 तुम क्यों रहे हो  दूर इससे | 
 निष्ठा है आवश्यक परोपकार के लिए 
दिखावे से कुछ न होगा 
जब इसपर कदम रखोगे 
सफल होते जाओगे |
लोग तुम्हें नाम से जानेगे 
तुम्हारे काम से जानेगे 
सफल व्यक्तित्व के धनी होगे
उससे ही पहचाने जाओगे | 
कार्य जो हाथ में लिया हो 
जब पूरा होगा तुम्ही पहचान बनोगे  
उसी सफलता के धन से  
तुम  ही पहचाने जाओगे |
आशा 
कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति के मन में सदैव सुख और संतोष की भावना होती है और समाज भी उसे सम्मान देता है ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |