24 फ़रवरी, 2022

छवि दुल्हन की

 

         प्यार की हथकड़ी बेड़ी 

जब लगी बंधन में बंधी  

कष्ट हुआ अनजाने लोगों में  

पर मन में मिठास घुली |

उन हथकड़ियों ने धीरे से  

कब अपनी जगह बनाली

  चूड़ियों खन खन बोलतीं 

अपनी उपस्थिति दर्ज करातीं |

पैर भी सूने नहीं रहते   

उनकी भी बेड़ियाँ बोलतीं

जब भी पैर हिलते

पायल बिछिये के घुँघरू बजते |

उन हथकड़ी बेड़ी  की

 है  एक ही  विशेषता

उनके बंधन हैं ऐच्छिक

कोई जोर जबरदस्ती नहीं  |

जन्म जन्मान्तर तक रखना है

 इन्हें जतन से कहीं खो न जाएं 

 बंधन जब पुराना होगा

 प्यार की मिठास बढ़ेगी |

हाथों पैरों की शोभा

 दो गुनी हो गई  

 सिन्दूर बिंदी का आकर्षण

 चौगुना हुआ जब मेंहदी लगाई |   

सजने सवरने पर

सौंदर्य निखर कर आया है  

अनोखी छवि लाल साड़ी वाली

नई नवेली दुल्हन ही है  |  

आशा   

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 02 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सुप्रभात
      आभार आपका यशोदा जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |

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  2. बंधन जब पुराना होगा
    प्यार की मिठास बढ़ेगी |
    –सत्य कथन... उम्र का अनुभव यही समझाता है

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद विभा जी टिप्पणी के लिए |

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. सुप्रभात
    धन्यवाद अनुराधा जी टिप्पणी के लिए |

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  5. वाह ! बहुत सुन्दर चित्रण ! सुन्दर सार्थक रचना !

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