आई है
संग लिए रंग
मुझे है
पसंद |
२- उड़ता
रंग गुलाल
मीठी है भंग
खाई गुजिया
संग |
३- प्रियतम
इन्तजार तुम्हारा
करते रहे हम
रही फीकी
होली |
४- होली
रंगोत्सव है
जलती बुराइयों का
बैर मिटे
अपना |
५- होली
आई है
मिलन के लिए
बैर नहीं
चाहिए
६-,उड़ा
अवीर गुलाल
होली आई है
हम सब
मिले |
७-आज
गुलाल लगाया
हुए मद मस्त सब
भंग में
हम
आशा
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (१८ -०३ -२०२२ ) को
'होली के प्रिय पर्व पर करते सब अभिमान'(चर्चा अंक-४३७२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सुप्रभात
हटाएंआभार अनीता जी मेरी रचना की सोचना के लिए |
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जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, होली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आप सब को। राधे राधे।
जवाब देंहटाएंसुन्दर छंद ! बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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