17 मार्च, 2022

सयाली छंद -४-



 

  १-होली

आई है

संग लिए रंग

मुझे है

पसंद |

२- उड़ता

रंग गुलाल

मीठी है भंग  

खाई गुजिया

 संग |

३- प्रियतम

 इन्तजार तुम्हारा

 करते रहे हम

 रही  फीकी  

होली |

४- होली

रंगोत्सव  है

जलती  बुराइयों  का   

बैर मिटे  

 अपना  |

५- होली

आई है

मिलन के लिए

बैर नहीं  

चाहिए 

६-,उड़ा 

अवीर गुलाल 

होली आई है 

हम सब 

मिले |

७-आज  

गुलाल लगाया 

हुए मद  मस्त सब 

 भंग में 

हम  

आशा 

7 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (१८ -०३ -२०२२ ) को
    'होली के प्रिय पर्व पर करते सब अभिमान'(चर्चा अंक-४३७२)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. सुप्रभात
      आभार अनीता जी मेरी रचना की सोचना के लिए |

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  2. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  4. बहुत ही सुन्दर, होली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आप सब को। राधे राधे।

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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