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शादी में बजता डीजे
होता कोलाहल
पैर न थकते नाच नाच के
एक अनोखा समा होता |
पर यदि पहले से
तुलना की जाती
पहले की बाती और थी
आज तो आधुनिक मैरेज होती है |
पर पहले हर रीति रिवाज
अपनाए जाते थे
अब होती है रस्म अदाई
पर वह आनंद नहीं है |
आशा
बिलकुल सत्य वचन ! आजकल शान शौकत, रौनक आडम्बर सब कुछ है लेकिन पहले सी बात कहाँ !
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