बहुत किया सब का
पर यश न मिल पाया
फिर भी कर्तव्य से
पीछे न हटे |
कभी मायूस न हुए
यही खूबी तुम्हारी
सब से अलग करती है तुम्हें
दृढ संकल्प बनाती है तुम्हें|
चरित्र में चार चाँद लगाती है
तुम्हें चाहे मालूम हो य न हो
तुम्हारा व्यक्तित्व निखर कर आता है
सब लोगों के सामने |
हर ओर सफलता मिले
आवश्यक नहीं खुशियाँ मिलें
जो मिलती जाती हैं
उन्हें कोई छीन नहीं सकता |
मायूसी से कोसों दूर रहे
सदा मुस्कुराते रहे
यही धन संचित किया तुमने
किसी की आशा न की |
सफल जीवन ही तुम्हारी धरोहर है
फिर मायूसी क्यों ?
क्षणभंगुर जीवन में आनंद समाया
यही क्या कम है |
सुन्दर सृजन ! बहुत अच्छी रचना !
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