कहाँ से आया वह
भोला भाला प्यारा सा बचपन
किसी ने न ध्यान दिया उस पर
वह धूल में खेला सड़क पर
दौड़ा
तब किसी ने न टोका उसको |
कभी टोकने पर प्रलय ही मचा दी
उसने
हंसने रोने में अंतर न समझा
किसको प्यार करे या न करे
उसको यह भी पता नहीं |
क्या सच में वह भी दुनिया की रीत नहीं जानता
केवल अपने तक ही सीमित रहता
या किसी प्रलोभन में फँस
जाता
बचपन में कुछ विभेद न कर
पाता |
कौन अपना कौन पराया
मन से मीठे बोल बोलता
मुझे पुष्प ही अच्छा लगता
काश वह लौट कर आता |
ऐसा बचपन खोजे न मिलता
जो माँ का प्यार ही समझता
पिता से दूरी भी न सह पाता
उसने अपने पराए का अंतर न जाना |
नहीं
चाहता अपने प्यार को किसी से बांटना
उसे बड़ा दुःख होता जब कोई
बाधा बन कर आता
उससे प्रतिस्पर्धा चाहता
यह है एकाधिकार का मांमला
उसको कोई समझ न पाता |
आशा
ऐसा ही होता है भोला भाला मासूम बचपन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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