जब भोर हुई 
सारी कायनात महकी 
अनोखी लगी पत्तियों फूलों
की महक 
पक्षियों  का मधुर स्वर 
पंछियों  का प्रेम हरियाली
से 
जब देखी माली ने 
उसकी मेहनत ने रंग दिखाया 
उसको गर्व हुआ खुद पर 
 कोई कमी ना छोड़ी उसने 
पौधों की सेवा में |
लोगों ने उसे दिया एक तोहफा
मिली  एक उपाधि पेड़ो के पिता की 
सब आते सुबह और शाम घूमने 
 जब  मन
से तारीफें करते माली की 
दिल उसका बाग़ बाग़ होता 
वह भूला अपनी मेहनत  अपार प्रसन्न हुआ 
उसे जो खुशी मिली बाँट रहा सब से |
सूर्य किरणें खेल रहीं पास के जल में
खेल रहीं नवल फूलों से |
आशा

बागबान को सच्ची खुशी अपने हाथों से लगाये उपवन के फलने फूलने पर होती है।सुन्दर और जीवन्त शब्द चित्र आशा जी।सरल और सहज अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकारें 🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
हटाएंवाह वाह ! बहुत ही श्रेष्ठ सृजन ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
जवाब देंहटाएं