कहने को कुछ भी नहीं है 
समझो तो बहुत कुछ है 
मन की मन में रहे 
यही क्या कम है |
जन्म से किसी के सब 
भाग्य में नहीं होते 
जब प्रयत्न किये जाते तब 
आसानी से सब मिल जाते |
मन में गुंजन होता 
किसी मधुर गीत का 
उड़ते पक्षियों के साथ 
वह उड़ना चाहता |
कोई वर्जना उसे पसंद नहीं है 
स्वछन्द रहने की चाह है 
जीवन में स्वतंत्र रहकर वह 
खुश रहना चाहता है |
हर चाह हो पूरी नसीब में नहीं उसके 
मन की करने की आदत ने
उसे बर्वाद किया है 
उसे कहीं का नहीं छोड़ा |
वह अपने अन्दर 
कुछ परिवर्तन चाहता है 
आध्यात्म की ओर है रुझान 
उस ओर ही रूचि रखना चाहता | 
जाने कब ईश्वर सुनेगा उसकी 
वह सबकी सुनता 
वह भी लाइन में लगा है 
उसकी कब सुनेगा |
आशा सक्सेना 
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सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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