मेरे भोलेपन ने मुझे धोखे में रखा
प्रगति पथ का गंतव्य मुझे छूने न दिया
सही सलाह न दी मुझको
अपनी मनमानी की मैंने
किसी का कहा माना नहीं
अपने को सक्षम जाना
यही समझने की भूल की मैंने
अपने गंतव्य से बहुत पीछे
रही मैं |
यह देख मुझे बहुत पीड़ा हुई
सोचा क्या भूल हुई मुझसे
सब ने मना किया था
पर मन मानी की मैंने |
किसी कथन की नब्ज न देखी
यदि देखती जान लिया होता
कि रोग क्या है उसका इलाज क्या है
यही भूल मुझसे हुई |
अब पछताने से क्या लाभ
अपनी भूल का संताप तो सहना
होगा
अब ऐसी कोई भूल न हो
खुद से वादा लेना होगा |
समय को हाथों से न फिसलने
दूंगी
है वह बहुत कीमती लौट कर न आएगा
अपनी भूल समझकर
आगे कदम
बढ़ाना होगा
किसी ने यदि दी सलाह
उसका मनन भी करना होगा |
अपना अहम् छोड़ कर
मनमानी को
त्यागकर
उसकी बात पर भी ध्यान देना
कोई अपना गलत सलाह नहीं
देगा
अपनी भूल सुधार कर
आगे जाना होगा |
आशा सक्सेना
आत्म चितन और आत्म मंथन से बड़ा कोई मित्र नहीं ! यही सदैव सही रास्ता दिखाते हैं !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना साधना टिप्पणी के लिए |
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