गीत प्रेम के गाए
कवि ने जब तक जीवन में शांति रही
पर हुआ विचलित मन उसका
जब महांमारी ने पैर पसारे |
जब मुसीबत आई देश पर
आगे की पंक्ती में खडा रहा
अपनी रचनाओं से देश के वीर
सपूतों का साहस बढाया |
एक ऐसा कार्य किया जिसने
मनोवल बढाया इतना कि वे जुटे
पूरी लगन से देश की रक्षा के लिए
यह रहा महत्व पूर्ण इतना
देशवासियों ने दिल से सराहा
जो भी लिखा देश हित के लिए
उनको सराहा गया पूरे मन से |
यही विशेषता रही वीर रस की रचनाओं में
जब शांति का माहौल बना
बड़ा परिवर्तन दिखने लगा रचनाओं से
कवि की मनोस्थिती की झलक दिखी
खुशहाली देश की नजर आई |
आशा सक्सेना
तभी तो कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण है ! साहित्य में वही प्रतिबिंबित होता है जो समाज में घट रहा होता है !
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