१-जिस दिन से
खेल प्रारम्भ हुआ
मजा आया है
२-जिन्दगी नहीं
सरल सीधी लकीर
कांटे हैं यहाँ
३- उलझन है
मार्ग सरल नहीं
कोशिश करो
4-सागर नहीं
गहरा सरोबर
पास खाई है
५-कितना भय
जल कलकल से
भय ना कर
आशा सक्सेना
धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
बढ़िया हाइकु !
धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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