जीवन की कहानियां
कभी ख़ुशी कभी गम 
आए दिन की बात है
 मैं सोच नहीं पाती |
की फरमाइशें बच्चों ने 
जिनको पूरा कर न सके
 पत्नी की उदासी में 
सारा दिन हुआ बर्बाद |
मन को इतना कष्ट हुआ  
तुम् सह  नहीं पाओगे 
सोचोगे कैसे जीवन जिया जाए 
वह  तो मुझे ही जीना है|
मै किस तरह जीता हूँ 
किसी से कह भी नहीं सकता 
सोच रहा हूँ कहीं दूर चला
जाऊं 
वहीं से नौकरी करूकुछ मदद करू
और कोई विकल्प नहीं मेरे
पास |
आशा सक्सेना 
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कहानी घर घर की ! सब जगह यही हाल है !
जवाब देंहटाएंThenk
हटाएंसुन्दर रचना
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