14 जून, 2023

मेरी अभिलाषा

 

रंगरेजवा मेरी रंग दे चुनरिया

रंग चाहे जो भी दे मन प्रफुल्लित हो जाए

मैंने कभी कोई रंग ही ना  देखे

जो नयनों को सुन्दर लगे मन को भाए |

मुझे आवश्यकता है चटक रंग की चूनर की

आर तेरी भी सहमती चाहिए

जब पहनकर निकालूँ राह में

लोग तरसें देखने को मुझे |

मुझे खुद पर हो गर्व जब किसी से तुलना हो

मैं निकलूँ  रंगीन चूनर पहन जब

कोई उसकी कीमत पूछें बत्त्ने में जो ख़ुशी मिले

आम जन को ना हांसिल हो |

मेरी अभिलाषा है मुझसा कोई न हो 

जब निकालूँ सब देखते ही रह जाएं मुझे 

मैंने इसी सफलता पर 

सब के मुंह से निकले वाह क्या बात है |

आशा 


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