28 सितंबर, 2023

तुम सा पावन

 

स्वर्ग से सुन्दर तुम सा पावन

मुझे कोई नहीं लगता

मन ने गहराई से खोजा

अपनों पराओं का भेद फिर भी ना किया

मन हुआ उदास जब खोज पूरी ना हुई

मैं किसी की ना हो पाई कोई मेरा ना हुआ

यही कमी रही मन में

सच्चे मित्र को ना पहचाना

भले बुरे का ज्ञान ना हुआ

मन उदास  हुआ  

किसी ने ना अपनाया मुझे

धीरे धीरे ज्ञान हुआ

है मुझ में और दूसरों में भेद क्या

एक खाली खोखला वर्तन

बे नूर जीवन हुआ तुम्हारे बिना

अब कोई आकर्षण नहीं रहा इसमें

अब दुनिया पर से भी

 विश्वास उठ गया है

खुद का भी पता नहीं

आगे क्या होने व़ाला है  

पर आगे पीछे की क्या सोचे

शायद भाग्य में यही रहा |

आशा सक्सेना 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: