09 सितंबर, 2023

क्या खोजती निगाहें तेरी

 क्या खोजे निगाहें तेरी 

किसे ढूँढें पर अभी तक 

कोई समाचार नहीं  उसका 

कहाँ राह में भटक गईं 

किसी से पूंछा तो होता 

अब तक यहाँ पहुँच ही जातीं 

कभी सोचा नहीं तुम राह भूल जाओगी 

मैंने तो कहा था किसी को लेने भेजूं 

 अपने को सक्षम समझा 

और  उसने इनकार किया 

धीरे से कोशिश की जब 

वह  सफल हुई 

पहुंची अपने गंतव्य तक |

आशा सक्सेना 


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