24 नवंबर, 2023

सखी आई है


मेरी सखी आई है

अनुभवों की दुकान साथ  लाई है

यह तक नहीं सोचा उसने |

उसके अनुभव और हम

में कोई तालमेल है या नहीं

मन में इच्छा हो या नहीं

पर उसको तो सुनना ही है |

जो कुछ सुना  उस का

 पालन भी करना है

यदि ऐसा नहीं किया

वह  नाराज हो जाएगी |

फिर उसे मनाना होगा मुश्किल

बहुत नखरों के बाद

वह मन पाएगी

फिर से खुशी आ पाएगी |

आशा सक्सेना 

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