27 जनवरी, 2024

चंचल चपला सी

 

कभी जो  कुलाचें भरती थीं

जंगल में हिरनी सी

हुई धीर गंभीर

तुम्हारा  साथ पा |

यह करिश्मा हुआ कैसे

यह परिवर्तन आया कैसे

तुमने क्या जादू किया

वह भूली चंचल चपल चाल |

उसने कोई विचार किया 

 किसी ने टोका या  रोका

या उसने गंभीरता से लिया  

कारण समझ न आया |

जो भी हुआ अच्छा हुआ

साथ तुम्हारा पाकर

उसमें जो आया परिवर्तन

उसको धीर गंभीर बनाया |

आशा सक्सेना  

 

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