04 जनवरी, 2017
02 जनवरी, 2017
गत्यावरोध
अचानक विराम आया है
इतने विस्तृतआसमान में
कैसा व्यवधान आया है |
बहती नदिया के जल में
ठहराव सा आगया है
संध्या कीस्याही उतरआई है
निशा का अन्धेरा छाने लगा है |
छलकने लगा है घट का जल
रिसने लगा है उससे जल
कहीं कोई हादसा हुआ है
शायद उसी का सन्देश लाया है |
दीपक रीता हो चला है
पर रात अभी बहुत बाक़ी है
पर रात अभी बहुत बाक़ी है
महक हरश्रंगार की बता रही है
श्वेत चादर बिछाना बाक़ी है |
तम यदि ना छट पाया
उड़ान अधूरी रह जाएगी
बहती नदिया मार्ग बदलेगी
अस्थिरता बढ़ती जाएगी |
स्थिर मन होने के लिए
कई पडाव पार करने हैं
यदि यही पड़ाव अंतिम हो
कई कार्य अधूरे पड़े हैं |
इस पार से उस पार तक
इस पार से उस पार तक
मार्ग दुरूह होगा पता है
अचानक आए विराम का
अर्थ समझ आने लगा है |
पर कार्य के विस्तार को
कहीं तो रोकना होगा
आनेवाले कल में स्वयं ही
अवरोधों से बचना होगा |
यही बातें यदाकदा मुझे
परेशान करती रहती हैं
मझधार में नैया
उसमें में अकेली मैं |
जैसेभी हो पार तो जाना है
यहाँ भी जगह नहीं है
नाही कोई ठिकाना है
उसमें में अकेली मैं |
जैसेभी हो पार तो जाना है
यहाँ भी जगह नहीं है
नाही कोई ठिकाना है
आशा |
30 दिसंबर, 2016
27 दिसंबर, 2016
स्वागत नव वर्ष का
नूतन वर्ष ने फिर से
दी है दस्तक दरवाजे पर
नवल सोच नव विचार
लाएगा आनेवाला कल |
आज रात नाचें गाएं
जी भर कर खुशियाँ बाँटें
यही यादें तो रह जाएंगी
बीते कल में सिमट कर |
बाद में जब भी सोचेंगे
उनपर दृष्टिपात करेंगे
समस्त चित्र समक्ष होंगे
मन में सजा लेने को |
नवल किरणों से सुसज्जित
नव वर्ष का सूरज होगा
उल्लास लिए विचार होंगे
उदासी का नामों निशाँ न होगा|
हिलमिल कर स्वागत करें
नववर्ष के आगमन का
नव विचार आत्मसात करें
समरिद्धि का आग़ाज करें |
आशा
23 दिसंबर, 2016
हैप्पी क्रिसमस
नित नए अभियान चले है
देश के उत्थान के
सारा देश हुआ व्यस्त
स्वच्छता अभियान में
बच्चे बूढ़े और युवा
प्रतिभागी इसके बने हैं
सभी योगदान देते हैं
कचरा यथास्थान डालते
पर्यावरण सवारते
है कल हमारा त्यौहार
वर्ष भर रहा जिसका इन्तजार
हमने भी एक स्वप्न सजाया
अपने घर को स्वच्छ बनाया
किया आयोजन
एक प्रतियोगिता का
सब ने बढचढ कर
भाग लिया है
अपना अपना नाम लिखाया
है नाम इसका भी
स्वच्छता अभियान हमारा
नन्हें मुन्ने बच्चों आओ
पहले अपना कक्ष सजाओ
फिर खुदपर भी ध्यान धरो
अपना अपना रूप सवारों
जोभी स्वयं सज जाएगा
कक्ष भी जिसका स्वच्छ सुघड़
वही होगा हकदार
उस अनमोल तोहफे का
कल जब जिंगल बैल बजेगी
महमान हमारा संताक्लाज
तोहफे ले कर आएगा
सबसे बड़ा तोहफा उसको देगा
गर्व से सर उन्नत हो जाएगा
फिर केक काट सब को बांटेंगे
लोग उसे बाहों में लेंगे
प्रेम का इजहार करेंगे
प्रेम का इजहार करेंगे
और कहेंगे हैप्पी क्रिसमस
मैरी क्रिसमस |
आशा
21 दिसंबर, 2016
अनजानी इबारत
दिल की दीवार पर
कुछ आज लिखा देखा
नहीं किसी जैसा
पर जाने क्यूं आकृष्ट करता
बहुत सोचा याद किया
फिर मन ने स्वीकार किया
याद आगई वह इबारत
जब कलम भी न पकड़ी थी
मम्मीं की कलम से रोज
उनकी ही कॉपी में
लड्डू बनाया करती थी
उसपर भी रोजाना
तारीफ पाया करती थी
उससे जो प्रसन्नता होती
आज तक न मिली
तब कलम नहीं छूटती थी
अब कोई वेरी गुड
देने वाला नहीं मिला |
आशा
19 दिसंबर, 2016
अग्नि(हाइकू )
१ -
है तेरा प्यार
दहकता अंगार
कभी न बुझे |
२-
साथ पुष्प के
कंटक भी जलाते
बच न
पाते |
३-
अग्नि मन की
बेचैन किये जाती
शान्ति न रहती |
४-
नयन तारा
माता का था
दुलारा
शहीद हुआ |
५-
पेट की आग
करती हाहाकार
विश्राम नहीं |
६-
वन कि आग
हुई अनियंत्रित
जलाती गई |
७-
दाह अग्नि का
जलाता तन मन
जब भभके |
आशा
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