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लिखने को बेकरार  
लेखनी रुक न पाएगी 
पुरवैया के झोंकों सी 
बढती जाएगी
बढती जाएगी
सर्द हवा के झोंकों का 
अहसास कराएगी
अहसास कराएगी
जब कभी गर्मीं होगी 
प्रभाव तो होगा 
मौसम के परिवर्तन की 
अनुभूति भी होगी 
बारिश की बूंदाबांदी 
कभी भूल न पाएगी
कभी भूल न पाएगी
वे सारे अनुभव 
उन बूंदों के स्पर्श को 
सब तक पहुंचाएगी |
सब तक पहुंचाएगी |
यहाँ वहाँ जो हो रहा
 छुंअन उसकी महसूस 
होगी 
प्रलोभन भी होगा 
पर वह बिकाऊ नहीं है
  बिक न पाएगी |
अपने निष्पक्ष विचारों का
 बोध कराएगी 
यही है धर्म  उसका
 जिस पर है गर्व उसे 
वह है स्वतंत्र 
अपना धर्म निभाएगी |
आशा
आशा





