था वह एक प्रकांड
पंडित 
अतुलित बुद्धि का
स्वामी 
थे दस शीश दशानन के  
कुछ स्वस्थ कुछ दुर्बुद्धि
लिए 
एक कारण कुबुद्धि का
था  
बड़ा पद और मद की महिमा
 
उच्च पद आसीन वह 
गर्व से भमित हुआ 
दुर्बुद्धि और मद मत्सर
दुर्बुद्धि और मद मत्सर
बन गए विनाश का कारण
आज भी गली गली
 कई रावण दीखते हैं 
अच्छे विचार भूल से
आते 
बुराइयों से घिरे
रहते 
अब यही देखने को
मिलता 
सक्रीय बुरे विचार उसे
 विनाश के नजदीक लाते 
आये दिन कई रावण मारे
जाते |
आशा 





