30 अगस्त, 2015
27 अगस्त, 2015
राखियाँ
गली के उस पार
सजी राखियों की दूकान
एक नहीं अनेक राखियां
छोटी बड़ी अनेक राखियाँ
बहन की अरमां राखियाँ
रंगबिरंगी बहुरंगी राखियाँ
कलाई का सिंगार राखियाँ
सजने को तैयार राखियाँ
कलाई सूनी भाई की
राह देखती बहना की
स्नेह का बंधन अटूट
रक्षक सूत्र सदा अनमोल
ये कच्चे धागे की राखियाँ
मन मोहक सुभग सुन्दर
बहनों का दुलार मनुहार
भाई के वादों का उपहार
घेवर फैनी का अम्बार
आया रक्षाबंधन त्यौहार
अपूर्व चमक आनन पर होती
जब कलाई पर राखी होती
बहन दुआएं देती
है अदभुद यह त्यौहार
रस्मों कसमों का त्यौहार
रहता हर वर्ष इन्तजार
कब दूकान पर राखियाँ सजें
उनमें बहना का प्यार पले |
आशा
आशा
25 अगस्त, 2015
तुम्हारे बिना
सजी महफ़िल
गीत गुनगुनाए
इन्तजार हर पल रहा
पर तुम न आए
यदि एक झलक
तुम्हारी पाते
स्वर अधिक
मधुर हो जाते
महफ़िल में
रंग जमाते
लव प्यासे
न रह जाते
यूं ही महफ़िलें
सजती रहेंगी
बहारें आती रहेंगी
जाती रहेंगी
पर अधूरे रहेंगे
मेरे गीत
तुम्हारे बिना |
आशा
23 अगस्त, 2015
22 अगस्त, 2015
बाल लीला
खिड़की खुली थी किया प्रवेश वहीं से
द्वार खुला था उधर से न आये
क्या बिल्ली से सीख ली थी
या नक़ल उसकी की थी |
छलांग लगा छींका गिराया
मटकी फोड़ दही गिराया
कुछ खाया कुछ बिखराया
पकडे गए तब रोना आया |
अकारण शोर मचाया
सब को धमकाया
सब को धमकाया
चलो आज माँ के पास
न्याय मैं करवा कर रहूंगी
प्रति दिन यह शरारत न सहूंगी |
वह भोली नहीं जानती
है व्यर्थ शिकायत
है व्यर्थ शिकायत
माँ कान्हां को नहीं मारती
डंडी से यूं ही धमकाती
फिर ममता से आँचल में छिपाती |
है
कान्हां भी कम नहीं
कहता माँ यह है झूठी
इसकी बातें नहीं सुनो
तुम मेरा विश्वास करो |
अब वह जान गई है
कोई प्रभाव न होना नटखट पर
बालक है भोला भाला
मनमोहक अदाओं वाला |
यही है बाल लीला कान्हां की
मृदु मुस्कान मुख पर उसकी
सारा क्रोध बहा ले जाती
,वह जमुना जल सी हो जाती |
आशा
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