है दिल  छोटा सा फिर भी 
  रिक्त अभी भी हैं पर्ण   पुस्तिका में 
बीते कल की  यादों को
 सहेजा जा सकता है जिनमें  |
लेखनी भी थकी नहीं है 
यादों को लिपिबद्ध करने में फिर भी 
उम्र दिखाई देने लगी है
 उस की रवानी में |
कभी चलते हुए जब थक जाती है 
विश्राम करना चाहती है 
यादें उसे पीछे हटने नहीं देतीं
बारम्बार लिखने को कहती है | 
बड़े मनुहार के बाद लेखनी
 कदम अपने बढ़ाना चाहती है 
कोशिशों की बैसाखी ले कर चलती है 
पर वह प्रखरता अब कहाँ |
ह्रदय में  जगह की कमी नहीं है
लिखने को अंतस में पैनी लेखनी चाहिए 
यादों का जखीरा रहा शेष लिपिबद्ध करने के लिए 
 पुरानी लेखनी से  लिखने वाला चाहिए | 
आशा 



