बिना किसलय हुई  वीरान बगिया  
 माली की  देखरेख के बिना 
माली उलझा अपने आप में
बिना सही  संसाधनों के |
एक समय ऐसा था 
जब गुलशन परिसर में घुसते ही 
सुगंध आने लगती थी 
पूरी बगिया महक उठती थी 
रंग बिरंगे खिलते पुष्पों से |
अब  पर्यावरण
 प्रदूषण से 
पुष्पों की खेती हुई प्रभावित 
हरी डालियाँ सूख रहीं 
कच्ची कलियाँ खिल न सकीं |
यही हाल यदि रहा 
 बिना
गुल होगा गुलशन बंजर 
ना ही सुनाई देगा भ्रमरों का गुंजन 
ना ही  उड़ेगी रंगबिरंगी तितलियाँ पुष्पों पर  |  
बच्चों का तितली पकड़ना 
उनके पीछे दौड़ लगाना 
बहुत आकर्षित करता है संध्या को 
गुलजार गुलशन में घूमना |
वह है एक मुरझाया  किसलय
वीरान  बाग में बिना देखरेख के 
या कोई माला के पुष्प सी 
जिसे फैका गया उतार कर |
किसलय तभी शोभा देता है 
जब तक टहनी पर लगा हो 
या गुलदस्ते में सजा हो 
अब क्या जरूरत उसकी |
आशा