चांदनी रात में जंगल में रहे
प्रकृति से जुड़े एहसास अनोखा हुआ
सर्दी में रात यहाँ जब भी गुजारी
भाँति भाँति के स्वर कानों में गूंजे  | 
पहचान  हुई वहां आदिवासियों से 
उनके तौर तरीको से
खान पान की आदतों से
पूजन अर्चन के तरीकों से 
अपनाई गई वहां संस्कृति से | 
है भारत इतना विशाल कि विविध संसकृतियां जानना कठिन
भाषा वैविध्य सरलता से पहचाना जाता
पर रीति रिवाज जुदा एक दूसरे से |
अनेकता में एकता है भारत की विशेषता
 सभी जन एक दूसरे से रखते स्नेह 
भेद नहीं आपस में करते
 मिलते सब स्नेह से जब भी मिलते |  
पर्यावरण प्रकृति और मानव का
होता भिन्न पर बड़ा संतुलन रहता
 आगे बढ़ते जब प्रकृति की गोद में 
 बड़ा तालमेल रहता आपस में |  
हम उनके वे मित्र हमारे
यहाँ के सभी हैं रहने वाले
 है लगाव गहरा हमें अपने देश से 
जन्में हम देश के लिए |
कितनी भी समस्याएँ आएं 
हमारी जड़ें हैं इतनी गहरी 
कोई अलग नहीं कर सकता 
हमें हमारे अपनों से | 
आशा
.jpg)
