दिग दिगंत में आसपास 
कोई खींच रहा था उसको अपने पास
उस में खो जाने के लिए
जीवन जीवंत बनाने के लिए |
जागती आँखों से जो देखा उसने 
स्वप्न में न देखा था कभी जिसे
वह  उड़ चली व्योम में ऊंचाई तक
पर न पहुँच पाई आदित्य तक |
 ताप सहन न कर पाई जो था आवश्यक 
गंतव्य तक पहुँचने  के लिए 
उसने सफलता को जब  नजदीक पाया 
मन खुशियों से भर आया |
सफलता उसने इतने करीब देखी न थी 
 नैना भर आए थे उसके यह देख 
दोबारा कोशिश की फिर से  
अब दूरी कुछ कम हुई दौनों में 
पर पूरी तरह सफल न हो पाई |
आत्मविश्वास मन में आस्था ईश्वर पर
 नाम लिया नटनागर का साहस जुटाया 
अब आसान हुआ वहां पहुँच मार्ग 
 चमक सफलता की रही  चेहरे पर |
आशा