24 फ़रवरी, 2015
21 फ़रवरी, 2015
अधर में अटका
फिर उम्मीदेवफ़ा
है कैसी फ़ितरत
या रव की रज़ा
अधर में ही लटक गया
न राम मिला
न रहीम मिला
केवल दिखावा था
या भावना अंतस की
आज तक जान नहीं पाया
ऊपर से बदनामी का साया
प्यार के नाम पर
आवारगी का ताज मिला
मन मसोस कर रह गया
उस राह पर चल कर
दिल छलनी हुआ
और कुछ न मिला
मिली गति त्रिशंकू की
आसमान से गिरा
खजूर में अटका |
मिली गति त्रिशंकू की
आसमान से गिरा
खजूर में अटका |
आशा
|
17 फ़रवरी, 2015
14 फ़रवरी, 2015
13 फ़रवरी, 2015
हाईकू
दात्री ऊर्जा की
किरण आदित्य की
जीवंत जग |
स्त्रोत ऊर्जा का
अक्षय ही रहता
सृष्टि चलाता |
सूरज चन्दा
बंधे एक डोर से
नियामक की |
बंधन बड़ा
हर कण कण में
सूर्य ऊर्जा से |
आशा
11 फ़रवरी, 2015
अग्नि
आहुति देती
दीपशिखा अपनी
मार्ग दिखाती !
अनोखी गल्प
जंगल में आग सी
फैलती गयी !
जंग की आग
विनाश की कगार
है अभिशाप !
सूर्य का तेज
अग्निपुंज प्रखर
होता विशिष्ट !
आशा
06 फ़रवरी, 2015
दुल्हन
संग पिया के
स्वप्न सजे आँखों
में
सजनी चली !
नवजीवन
कदम बढ़ाए हैं
दुलहन ने !
अवगुंठित
लावण्यमयी वह
दुलहन है !
मन मुदित
चंचल चितवन
परणीता है |
आशा
सदस्यता लें
संदेश (Atom)